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Showing posts from September, 2018
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नेटिव रूल मूवमेंट : सारांश : नातिविज़्म यह हमारा गुरु है , नेटिव हिंदुत्व यह हमारा मार्गदर्शन इस विचार को लेकर नेटिविस्ट दौलतराव डोमाजी राउत ने अपना काम सं १९७० से पौनी के बौद्धिक मंडल से शुरू किया।  इस विचार को उसी समय सभी उपस्थित लोगो ने ख़ारिज किया केवल एक मित्र ये कहते रह गए सुन लो सुन ने में क्या हर्ज है।  नया विचार है। नेटिविज़्म की व्याख्या हमने उस समय भी यही की थी जो आज कर रहे है , नेटिविज़्म यह वो सम्पूर्ण नया राजकीय दर्शन है , विचार है जो नेटिव नेशन की निर्मिति के लिए काम करता है और विश्व में जहा भी नेटिविज़्म का आंदोलन चल रहा है उसका समर्थन करता है।  नेटिविज़्म वसाहतवाद , ब्रह्मिणवाद और अमर्याद पूंजीवाद का पुरजोर विरोध करता है। नेटिव हिंदुत्व को हम ने हमारे हिंदुस्तान के लिए और जहा जहा ब्राह्मण , ब्रह्मिणवाद , ब्राह्मण धर्म जो की वास्तव में अधर्म है की समाप्ति के लिए नेटिव हिंदुत्व का विचार हम हमारा मार्गदर्शन मानते है जिस में यह साफ साफ कहा गया है की हिन्दू धर्म और ब्राह्मण धर्म अलग अलग है।  ब्राह्मण धर्म का ग्रंथ वेद और कानून मनुस्मृति है जो वर्ण, जाती ...
हिंदूंचे अनेक सण सार्वजनिक स्वरूपाचे हिंदूंचे अनेक सण सार्वजनिक स्वरूपाचे , जसे दसऱ्याला दहा तोंड्या विदेशी ब्राह्मण रावणाचा सार्वजनिक दहन ,जाळणे , पोळ्याला सर्व नेटिव्ह शेतकरी चौकात बैल जोडी सजवून आणणे , होळी ला सामुदायिक स्वरूपातून सण साजरा करणे , रंग पंचमी साजरी करणे इत्यादी . पण या सव हिंदू सणात विदेशी ब्राह्मण , पांडा , पुजारी नाही , भट नाही . मात्र भट मान्य टिळकाने भटांचे पोट भरण्या साठी गणेश उत्सवात गैर हिंदू धर्मी भट पुजारी शिरविला , सार्वजनिक उत्सव साजरा करणे पेक्षा , भटांची पोटापाण्याची सोया करणे हाच त्या मागील उद्धेश होता . ब्राह्मण लोग विदेशी आहेत , त्यांचं वैदिक ब्राह्मण धर्म विदेशी वेड आणि भेद मानणारा आहे . तो हिंदू नाही , हिंदुस्थानी नाही पण भटाला दिली ओसरी आणि भट हळू हळू पाय पसरी हि उक्ती खरी ठरली . नेटिव्ह लोक जे मूर्तिकार आहेत , गणेश मूर्ती घावितात त्याला जानवे दाखविणे बंद करा , भट बोलाविणे बंद करा , हिंदू चे सर्व सण विदेशी ब्राह्मीना शिवाय साजरे केले जात होते , अजूनही जातात . हिंदू ना विदेशी ब्राह्मण जे मुळात हिंदू विरोधी , हिंदुस्थान चे दुश्मन आहेत त्या...
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SATYA HINDU DHARM SABHA ; AAJ KA VICHAR ; Welcome Our Brother Ganesha , But Not With Elephant Head :  Today is Ganesh Chaturthi , First Day of his visit as a guest to houses of many . This is not his Birth Day as the same is not known now .  Our Father , Native Lord Shiva married to Parvati , a Brahmin girl as per her request and they had Ganesha as first son . Since lord Shiva is our ancestral Native Hero , Lord , God and Father his wife Parvati , although , a Videshi Brahmin girl whose father side religion is not Native  Hindu but Vedic Brahmin Brahmin Dharm , we accept and  acknowledge her our mother irrespective of her earlier culture and religion like that every son does the same accept the wife of his father as mother . We have full respect for her courage , dedication towards her love for Our Native Lord and Father Shiva .  We think , they had a normal son without any fault , may be his colour slightly reddish , big  and strong body like Shiva , big...
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नेटिव भगवान शिव शंकर पुत्र वीरभद्र , गणेश , कार्तिकेय : नेटिव भगवान शिव शंकर को अनेक पत्निया हुवी , गिरजा नेटिव काली सवाली थी , गौरी ब्राह्मण गोरी थी , २७ कृतिकाये गोरी ब्राह्मण थी। जिसे वीरभद्र , कालभैरव , मल्हार जिसे नाम से जाने वाला जेठ पुत्र नेटिव गिरजा से हुवा , द्वितीय पुत्र गौरी ब्राह्मण से हुवा जिसे गणेश , गणपति , विनायक , गणनायक आदि नाम से जाना जाता है। चुकी वो वर्ण संकर से हुवा था न काला था न गोरा बल्कि ताम्ब्र वर्ण था , आखे छोटी थी , कान लम्बे थे , कुछ मोटा था , दाँत थोड़े बाहर आये हुवे थे जिसे ब्राह्मण मलिन मार्ग से पैदा हुवा और वर्ण संकर होने के कारण पसंद नहीं करते थे , न शिव शंकर ने उसका गाला काटा , न हाथी का सर लगाया। शिव शंकर ने उसे बाद में गणनायक बना दिया। गणेश ने अपनी माँ के यानि गौरी के उसके नाना के घर जलकर मर जाने का बदला ब्रह्मिनो से लिया जिस कारण गणेश विघ्नकर्ता कहलाये। फिर एक दिन उसे ब्रह्मिनो ने घर बुलाकर पानी में डुबोकर लार डाला। कृतिका से पैदा हुवा कार्तिकेय ब्रह्मिनो से का मिला जिसे ब्रह्मिनो ने ब्रह्मिनो ला सेनापति बना दिया। नेटि...